जब देश दांव पर हो तो नेताओं की भूमिका बड़ी हो जाती है, और उससे भी बड़ी हो जाती है कड़ी नीतियों की जरूरत. लेकिन पाकिस्तान की गुस्ताखियों के बावजूद एक देश के तौर पर हमारी बोलियों में बिखराव हैरत पैदा करता है. सवाल सिर्फ शहादत का नहीं है, सवाल संविधान के उस वादे के साथ विश्वासघात का है जो भारत को एक भयमुक्त देश बनाता है.