क्या करीब दो दशक के बाद एक बार फिर हिंदुस्तान की राजनीति का रक्त चरित्र सामने आ रहा है. क्या जयललिता के एक फैसले से देश में फिर से करीब तीन दशक पहले जैसे हालात बन रहे हैं.