जमीन ये सिर्फ एक शब्द नहीं है. ये हिन्दुस्तान की परंपरा. हिन्दुस्तान के संस्कारों रिवाजों और जिंदगी जीने के तमाम तरीकों से जुड़ा एहसास है. वो एहसास जिसकी आज कीमत तय करने की बात चल रही है. कीमत दो और जमीन लो. कीमत बाजार तय करेगी और जमीन का काम सरकार तय करेगी लेकिन किसान का क्या. ये वो सवाल है जो आज सरकार से पूछा जा रहा है और सड़क पर इसी पर हंगामा किया जा रहा है और यही है आज हमारी बड़ी बहस का मुद्दा.