जिस पार्टी के उपाध्यक्ष गुजरात में मंदिर मंदिर जाते हैं, उसी पार्टी के नेता कपिल सिब्बल जो पेशे से वकील हैं वो राम मंदिर के खिलाफ सुन्नी वक्फ बोर्ड के पैरोकार बनकर कोर्ट पहुंचते हैं और कहते हैं कि सालों से अटके इस मामले को 2019 तक और अटका दिया जाए, क्योंकि ये बीजेपी का एजेंडा है. यानी इंसाफ की जंग सबूतों की बजाए सियासी नीयत पर आ गई. अब से कुछ देर पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी यही मुद्दा उठाया है और कांग्रेस और राहुल गांधी से सफाई मांगी है कि वो बताएं कि क्या राम मंदिर मामले की सुनवाई वो जल्द से जल्द पूरी होने देना चाहते हैं या नहीं. देखें- 'हल्ला बोल' का ये पूरा वीडियो.