ऐसे दौर में जब बच्चों की मौत का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा है, ऐसे दौर में जब एंबुलेंस के अभाव में मरीज किसी की पीठ पर दम तोड़ देता है, ऐसे दौर में जब बगैर इलाज के मरीज अस्पताल के दरवाज़ें पर जान दे देता है, ऐसे दौर में जब बेरोजगारी के जहर से नौजवानों के सपने मर रहे हों, ऐसे ही दौर में जब मूलभूत सुविधाओं को छोड़कर मूर्ति पर करोड़ों खर्च करने का रुआब दिखाया जाता है तो फिर सवाल पूछना जरूरी हो जाता है कि मूर्ति ज्यादा जरूरी है या शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य?