अखिलेश यादव चाहते तो मुजफ्फरनगर को मातम के शहर में बदलने से रोक सकते थे, लेकिन वो तमाशा देखते रहे, वो देखते रहे कि सभी दलों ने मुजफ्फरनगर की बर्बादी में अपनी ताकत झोंक रखी थी पर खामोश रहे.