क्या सियासत में नेताओं की जुबान गंदी हो चली है? क्या सियासत में अपने विरोधियों पर शालीन भाषा में हमला करना नामुमकिन हो गया है? क्या सुर्खियां बटोरने के लिए गंदी भाषा का इस्तेमाल करने लगे हैं नेता?