जिस रोकशाही और ठोकशाही की तालीम बाल ठाकरे अपने शिवसैनिकों को आजीवन देते रहे, उन्होंने उसे आजमाने का मौका तब तलाश लिया, जब शिवसेना सुप्रीमो की मौत के बाद फेसबुक पर एक लड़की शाहीन ने कमेंट कर दिया. शिवसैनिकों ने तो कानून को हाथ में ले लिया, लेकिन कानून के रखवालों ने भी अभिव्यक्ति की आजादी पर बंदिश लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हल्ला बोल में आज यही सवाल है कि क्या फेसबुक पर कमेंट के जुर्म में जेल होनी चाहिए.