बलात्कार राष्ट्रीय शर्म है, राष्ट्रीय समस्या है, इस मुद्दे पर बोलने की सबको आजादी है. लेकिन इस पूरे बहस में जब भी नसीहत दी जाती है वो महिलाओं को दी जाती है. इन समस्याओं की बुनियादी दिक्कतों पर कोई बात नहीं करता है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक ने भी महिलाओं के लिए कुछ ऐसा ही बयान दे डाला. मोहन भागवत ने कहा है कि विवाह एक सामाजिक समझौता (सोशल कांट्रैक्ट) है. यह तब तक चलता है जब तक दोनों पक्षों के बीच सामंजस्य रहता है. उन्होंने कहा कि यह ऐसा सौदा है, जिसमें पत्नी से कहा जाता है कि तुम घर चलाओ और मुझे सुख दो. वहीं पति पेट का इंतजाम और सुरक्षा की गारंटी लेता है. जब तक पति-पत्नी शर्तो का पालन करते हैं तब तक रिश्ता ठीक ठाक चलता है.