किसान संगठनों के प्रदर्शनस्थलों को सील करने के लिए लगे कंटीले तार एक कटाक्ष भी हैं. ये सरकार और किसान संगठनों के बीच खड़ी अविश्वास की दीवार पर कटाक्ष हैं. किसानों के नाम पर चल रही मौजूदा दौर की सबसे बड़ी राजनीति पर कटाक्ष हैं. ये कटाक्ष हैं कि लोकतंत्र और अधिकार के नाम पर कर्तव्य की मर्यादा हर तरफ से तोड़ी जा रही है. आज देश की संसद में भी कृषि कानूनों के नाम पर सरकार से निपट लेने की छटपटाहट दिखी. बजट पेश होने के बाद संसद सत्र में तमाम मुद्दों पर चर्चाओं और बहस के लिए कार्यवाही का ये पहला दिन था. राज्यसभा में 4 बार व्यवधान के बाद, पूरे दिन के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. लोकसभा में भी कृषि कानूनों को लेकर हुई नारेबाजी से माहौल में पॉलिटिक्स का धुआं ही भरा रहा. कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर ढाई महीने पहले शुरू हआ आंदोलन, अब सबसे बड़ा राजनीतिक मामला बन गया है. इस बीच पुलिस के कंटीले तारों को किसान नेता से लेकर विपक्ष के राजनेता तक उत्पीड़न बता रहे हैं जबकि दिल्ली पुलिस अपने फैसले को 26 जनवरी के शर्मनाक घटनाक्रम से मिला सबक बता रही है. देखें खबरदार, श्वेता सिंह के साथ.