आज राष्ट्र पर्व है लेकिन चोट हिंदुस्तानियों के मन पर लगी है. किसी ने सोचा नहीं था कि गणतंत्र दिवस के दिन भारत के शौर्य, शक्ति और स्वाभिमान वाली परेड की तस्वीरें दब जाएंगी और देश की राजधानी में किसानों के उत्पात और चारों तरफ फैली अराजकता की तस्वीरें लोगों के दिलो दिमाग में वायरल हो जाएंगी. गणतंत्र दिवस के दिन ऐसे हालात पैदा करने वालों को किसान तो नहीं कहा जा सकता. आईटीओ, लाल किला, गाजीपुर बॉर्डर और नांगलोई सहित हिंसा के कई हॉटस्पॉट आज दिल्ली और आसपास के इलाकों में दिखाई दे रहे थे. सड़कें जंग का मैदान बनी हुई थीं. आंसू गैस, लाठी चार्ज, मारपीट, झड़प, बदहवासी चारों तरफ अशांति. गणतंत्र दिवस का ऐसा उत्सव नहीं सोचा था किसी ने. शांतिपूर्ण कहे जा रहे, किसान आंदोलन का एक हिंसक चेहरा जब सामने आया. देश आवाक रह गया. सब सोच रहे हैं ऐसा क्यों हुआ. इसकी क्या जरूरत थी, जब वादा शांतिपूर्ण मार्च का था. लाल किले पर चढ़ाई क्यों हुई? देखें खबरदार, श्वेता सिंह के साथ.