पाकिस्तान, मोहम्मद अली जिन्ना और कसाब. ये कुछ ऐसे बारूदी शब्द हैं, जिन्हें अगर किसी नेता की ज़ुबान पर जगह मिल जाए तो चुनावी माहौल में गर्मी बढ़ जाती है. एक इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने चीन और पाकिस्तान को लेकर ऐसा क्या कह दिया कि बीजेपी ने दल-बल के साथ अखिलेश और पूरी समाजवादी पार्टी पर ज़ुबानी हमला बोल दिया. इसके बारे में आपको बताएंगे कि दूर से देखने पर ये खबर सिर्फ एक बयान और उसकी प्रतिक्रिया के संकलन जैसी लगेगी, लेकिन खबरदार का लेंस लगाकर देखेंगे तो आपको दिखेगा कि BJP और समाजवादी पार्टी यूपी चुनाव में ध्रुवीकरण की सेटिंग्स अपने हिसाब से करने की कोशिश कर रही हैं. और ये सेटिंग इन्हीं बारूदी शब्दों से बदलती है. सवाल ये भी है कि ये राजनीतिक दुश्मन होता क्या है? क्या पाकिस्तान को सिर्फ एक राजनीतिक दुश्मन कहकर डिस्काउंट दिया जा सकता है?