क्या सरकार और सिस्टम को समझ में आ गया है कि मूर्तियों की राजनीति में फंसने का खतरा क्या है. क्योंकि त्रिपुरा से जो बात चली वो लेनिन से लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पेरियार और अंबेडकर तक पहुंच गई. मूर्तियों की नेतागीरी में तोड़फोड़ के खतरे क्या हो सकते हैं इसका अंदाज़ा हो चुका होगा.