दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की गाड़ी दो साल के अंदर ही पंक्चर होते दिख रही है और उनकी मुश्किल ये है कि आगे का रास्ता सियासी तौर पर बहुत ऊबड़-खाबड़ दिख रहा है. केजरीवाल का नेशनल प्लान तो पहले ही फेल हो चुका है. पहले दिल्ली में उनका मन नहीं लग रहा था. दिक्कत ये है कि अब दिल्ली का मन केजरीवाल से नहीं लग रहा है. सड़क से आंदोलन के जरिए सत्ता तक पहुंचने वाले केजरीवाल अब दो तीन साल के अंदर ही सत्ता से आंदोलन वाली सड़क पर फिर पहुंचने के कगार पर हैं. दिल्ली में राजनैतिक जमीन को खोते दिख रहे अरविंद केजरीवाल की सियासत को फिर से मजबूत करने के लिए समय अब कम है.