पिछले दो दिन में हमने देखा है कि धर्म की राजनीति के ठेकेदार अपनी ठेकेदारी पर ठप्पा लगाने वाली मार्केटिंग के लिए नया फॉर्मूला अपना रहे हैं, जिसमें देश के लिए बलिदान होने वाले जवानों का धर्म बताकर शहादत की संख्या गिनवा रहे हैं. इसमें एक कदम आगे बढ़कर आज वो बातें कर रहे हैं, जिससे ये लगे कि देश धर्म के आधार पर शहादत पर भेदभाव करता है. लेकिन जो ये बातें कर रहे हैं, वो एक सैनिक का धर्म शायद ही समझ पाएं. ये सैनिकों की शहादत में धर्म ढूंढ़ रहे हैं या वोट, इसे समझने में कोई मुश्किल नहीं है. लेकिन सवाल यह है कि ये नेता ऐसे वक्त में वो सोच क्यों फैलाने में लगे हैं, जो सोच जाने-अंजाने में धर्म के नाम पर सेना को भी बांट देने जैसी बात है. शायद पहली बार ऐसा हुआ कि सेना को खुद इस पर बयान देना पड़ा. देखिए पूरा वीडियो.....