कुशीनगर में मानवरहित रेलवे फाटक 13 मासूम बच्चों के लिए मौत का द्वार बन गया. इसमें जितना दोष रेलवे का है, उतना ही उस ड्राइवर का भी है जिसने कानों में इयरफोन लगाकर मौत की चेतावनी को अनसुना कर दिया और 13 बच्चों को मौत के घाट उतार दिया. लेकिन कुशीनगर में जो हुआ है वो पहली बार नहीं हुआ है. मानवरहित रेलवे फाटक हर साल सैकड़ों लोगों के लिए मौत का द्वार बनते आए हैं और हर बार रेलवे ने ये कहते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा है कि रेलवे फाटक पार करते हुए अपनी जान की जिम्मेदारी खुद लोगों की होती है. लेकिन कुशीनगर में ट्रेन से कटकर जान गंवाने वाले 13 बच्चों के परिवारों को समझ नहीं आ रहा कि अपने नौनिहालों की मौत का जिम्मेदार वो किसे मानें.