गोडसे को देशभक्त बताने वाले बयान पर आज संसद में ही एक बार नहीं बल्कि दो बार खेद प्रकट किया है. पहली बार बीजेपी हाईकमान के ऑर्डर पर शर्तों के साथ और दूसरी बार विपक्ष की डिमांड पर बिना शर्त. लेकिन क्या इस माफी के बाद बीजेपी इस बात की शर्त लगा सकती है कि प्रज्ञा ठाकुर अब अपने गोडसे प्रेम वाली भावनाओं से बाहर निकल चुकी हैं. इसका जवाब भी खुद प्रज्ञा ठाकुर की इन दो माफियों में ही छिपा है. प्रज्ञा ठाकुर के माफी वाले दोनों बयानों को सुनिए. देखें खबरदार का ये एपिसोड.