कांग्रेस ने बीजेपी का गेम बिगाड़ते हुए एचडी कुमारस्वामी को कर्नाटक का किंग तो बना दिया और सेकुलर पॉलिटिक्स के नाम पर कुमारास्वामी इस बेमेल दोस्ती के सही होने के सर्टिफिकेट भी दे रहे हैं. अब सवाल ये है कि सीएम वाले गिफ्ट के बदले कांग्रेस कौन से रिटर्न गिफ्ट जेडीएस से वसूलेगी क्योंकि जेडीएस-कांग्रेस की सरकार भले ही बनने जा रही है लेकिन ये सरकार कैसी होगी, इसकी कोई फाइनल डील अब तक सामने नहीं आ सकी है. शायद यही वजह है कि आज कुमारस्वामी दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले. कल बैंगलुरु में जेडीएस और कांग्रेस के विधायकों की ज्वाइंट मीटिंग भी होने वाली है. कांग्रेस और जेडीएस को बहुत भरोसा है कि सरकार अच्छी चलेगी, लेकिन कर्नाटक में गठबंधन सरकारों का ट्रैक रिकॉर्ड कतई इसकी गवाही नहीं देता. कांग्रेस और जेडीएस के बीच की राजनैतिक कड़वाहट भी किसी से छुपी नहीं है. भले ही उस पर अभी सेकुलर पॉलिटिक्स का शहद लगाकर मीठा बनाया जा रहा हो. सवाल यही है कि ये जोड़ी कर्नाटक की पिच पर कितने दिन तक बैटिंग कर पाएगी. ये एक चैलेंज भी है क्योंकि कर्नाटक में जिस तरह से कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण को विपक्ष, एंटी मोदी मोर्चे का मेगा इवेंट बनाने जा रहा है. जिस तरह से राहुल गांधी से लेकर ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू, चंद्रशेखर राव, अखिलेश यादव, मायावती ने बुधवार को इस मेगा इंवेट के लिए एक मंच पर आने की बात कंफर्म कर दी है. वो अब कर्नाटक की दोस्ती के लिए बड़ी चुनौती है कि वो इसे बनाए रखें. कम से कम 2019 तक के लिए, जिसके लिए कर्नाटक से ये पूरी पॉलिटिक्स हो रही है.