अगर भारत लंबा युद्ध किसी से लड़ रहा है, तो वह नक्सल आतंकवाद है. लेकिन बेहद अफसोस की बात यह है कि दशकों से चल रहे इस युद्ध के बावजूद सरकारों और सिस्टम की सोच एक जैसी ही रही. यदि ऐसा नहीं होता...तो 50 साल के खूनी इतिहास और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाले नक्सल आतंकियों का अब तक अंत हो चुका होता. देश को शहीदों की शहादत और कुर्बानियों की पीड़ा नहीं सहनी पड़ती. हालांकि सवाल यह है कि यह देश कब तक इस सोच को बर्दाश्त करता रहेगा. नक्सल और आतंक का समूल नाश करने वाला वक्त और सोच कब पैदा होगी. क्या हम देश के रूप में इतने दयनीय हैं कि कुछ हजार नक्सलियों और इनकी इमदाद करने वालों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं....इन नक्सलियों पर किसी तरह का रहम खुद को धोखा देने जैसा है.