10 साल पहले उमा भारती का रंग जनता को खूब रास आ रहा था और भाजपा साध्वी का सियासत में जमकर इस्तेमाल भी कर रही थी. अब भी गेरुआ चोला है, बाल भी उतने ही हैं लेकिन उमा की ज़ुबान ठंडी पड़ गई है. चुनाव कार्यक्रम । शख्सियत । विश्लेषण । चुनाव पर विस्तृत कवरेज