क्रांति केवल जनता ही नहीं करती. सियासत भी करती है और सियासत में भी सत्ता की क्रांति गजब की होती है. जैसे आज बिहार में हुआ. बीस घंटे में ही बीस महीने का साथ तिनके की तरह बिखर गया. कल इस्तीफा देने वाले नीतीश कुमार ने बिहार बदलने के लिए साथी बदल डाला. जिन नरेंद्र मोदी के विरोध में उन्होंने लालू यादव से हाथ मिलाया था उसे छोड़कर आज फिर से उन्हीं का हाथ थाम लिया.