एक कस्बे में दो जगहों पर धमाके होते हैं. 6 लोगों की मौत हो जाती है. सौ से ज्यादा लोग घायल हो जाते हैं. नौ साल तक जांच चलती है और देश की सबसे खुर्राट जांच एजेंसी कहती है कि हमें कुछ नहीं पता. हमारे पास अभी सबूत नहीं हैं. वो उलटी चाल चलती है. गिरफ्तार आरोपियों के बारे में बताती है कि किसके-किसे खिलाफ सबूत नहीं हैं. 2008 के उस धमाके की जगह है मालेगांव. एजेंसी का नाम एनआईए और जिसे आज जमानत मिली है उसका नाम है कर्नल श्रीकांत पुरोहित.कर्नल श्रीकांत पुरोहित की जमानत की वजह इंसाफ की प्रक्रिया हो या राजनीति लेकिन जिन लोगों के घर उस रोज उजड़े थे वो निराश भी हैं और हताश भी. मालेगांव के लोगों को लगता है कि उनके खिलाफ साजिश हो रही है. इसीलिए जब आज पुरोहित को जमानत मिली तो उनका दर्द छलक पड़ा. विपक्ष की राजनीति करने वाले पीड़ितों के साथ हैं और उनका आरोप है कि एनआईए ने सरकार के इशारे पर अपनी जांच की दिशा मोड़ दी है.