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मैं भाग्य हूं: एक दूसरे के पूरक हैं धर्म और कर्म

मैं भाग्य हूं: एक दूसरे के पूरक हैं धर्म और कर्म

जीवन में धर्म और कर्म दोनों जरूरी है. और परोपकार को सबसे बड़ा धर्म माना गया है. अगर आपने भाग्य की सीख ली है तो वो भी आपके जीवन में बहुत काम आएगी.

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