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मैं भाग्य हूं: आंतरिक सुंदरता दिलाती है सम्मान

मैं भाग्य हूं: आंतरिक सुंदरता दिलाती है सम्मान

सुंदरता या कुरूपता तो कुदरत की देन है. जरूरी नहीं कि जिसका शरीर सुंदर हो उसका मन भी सुंदर होगा. या फिर जो इंसान कुरूप है उसका मन भी कुरूप होगा. बाहरी सुंदरता से कहीं ज्यादा आंतरिक सुंदरता, आपका प्रभाव समाज और लोगों पर छोड़ती है.

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