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मैं भाग्य हूं: कर्म के फल स्वरूप सुख या दुख मिलता है

मैं भाग्य हूं: कर्म के फल स्वरूप सुख या दुख मिलता है

मैं भाग्य हूं... मुझे ईश्वर की वाणी भी कहते हैं  पर आप कहते हैं कि आपके भाग्य में जो भी लिखा है यानी आपके साथ जो कुछ भी घटित होता है उसकी योजना ईश्वर ने पहले से ही तय कर रखी होती है. पर इस बात को गांठ बांध लीजिए कि ईश्वर हों या फिर मैं.. आपकी किसी भी परिस्थिति के पीछे कोई पूर्वनियोजित नीति नहीं होती.  बल्कि ये तो आपके कर्म होते हैं जिनके फल स्वरूप आपको सुख या दुख मिलता है. यदि आप एक सुखद जीवन की कल्पना करते हैं तो याद रखिए एक सुंदर और सुखद जीवन की कल्पना केवल सच्ची सुंदरता से की जा सकती है. सच्ची सुंदरता कभी भी बाहरी नहीं हो सकती है. जो व्यक्ति मन से सुंदर होता है उसकी ख्याति तन से सुंदर व्यक्ति से कही ज्यादा अधिक होती है. तो आप क्या है तन से सुंदर या मन से. यदि मन से सुंदर हैं तो आप विजेता है इस युग के और अगर आप केवल अपने तन की सुंदरता को महत्व देते हैं तो आपके लिए ही मैं एक कहानी लेकर आया हूं.

Main Bhagya tells you positive stories about life and motivates you to become a better version of yourself. The latest story focused on the importance of inner beauty. They say, beauty lies within, it is what you can feel from inside. Also, know your daily horoscope.

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