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मैं भाग्य हूं.... मन को न बनने दें किसी का गुलाम

मैं भाग्य हूं.... मन को न बनने दें किसी का गुलाम

मैं भाग्य हूं... आपके जीवन की दिशा और दशा तय करने वाला... लेकिन आप मुझे ईश्वर का लिखा मानने की कोशिश न करें.... मैं तो आपका ही रचा हूं.... जैसा आप सोचेंगे... जैसा आप कर्म करेंगे....मैं वैसा ही हो जाउंगा.... कोई भी इंसान सोचता है मन से.... और करता है अपने तन से...

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