मैं भाग्य हूं... आपका आने वाला पल... आपके कर्मों का उचित फल... मुझे चमकदार बनाने की चाहत को हर किसी में होती है. लेकिन मैं कैसे चमकता हूं... कैसे में फलित होता हूं... यह हर किसी को मालूम ही नहीं होता. कुछ लोग मेरे अधीन रहते हैं.... लेकिन में तो कर्मों के अधीन हूं... जैसा तुम कर्म करोगे.. मैं वैसा हू हो जाउंगा...