इंसान जन्म से नहीं कर्मों से महान बनता है. जन्म के समय इंसान एक कोरे कागज की तरह होता है, लेकिन बाद में उस पर समाज और परिवार के माध्यम से जैसी लकीरें खींची जाती हैं, उसके अनुसार ही वो ढलता जाता है.