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मैं भाग्य हूं: कर्म कर फल की चिंता मत कर

मैं भाग्य हूं: कर्म कर फल की चिंता मत कर

तकदीर वैसी होती है जैसे इंसान के कर्म होते हैं. पूर्वज भी कहते थे कि 'नेकी कर -दरिया में डाल'. लेकिन आज के समय में इंसान कर्म बाद में करता है लेकिन उसके फल की चिंता पहले करने लगता है.

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