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मैं भाग्य हूं: खुद को ना करें गुलामी की जंजीरों में कैद

मैं भाग्य हूं: खुद को ना करें गुलामी की जंजीरों में कैद

आजादी किसे पसंद नहीं है. बंद कमरे में भले ही लाख सुविधाएं हो. लेकिन बंद कमरे की बजाए खुली हवा में सांस लेना बेहतर होता है. आज की कहानी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर है. इस कहानी के जरिए जानिए आजादी का असली मतलब.

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