मनुष्य का धर्म कर्म करना है. लेकिन कई बार कर्म के अनुसार फल नहीं मिलने पर इंसान भ्रमित हो जाता है और कर्म करना छोड़ देता है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.