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मैं भाग्य हूं: दूसरों की बातों में आकर अपना विवेक न खोएं

मैं भाग्य हूं: दूसरों की बातों में आकर अपना विवेक न खोएं

भाग्य इंसान के कर्म से उसके जीवन का निर्धारण करता है. लेकिन कई बार इंसान भागवान की दी हुई बुद्धि और क्षमता का सही इस्तेमाल नहीं करता. वो दूसरों की बातों में आकर अपना विवेक खो देता है. दूसरों के दिखाए रास्ते को ही सच मानकर उस पर चलने लगता है. स्वयं भाग्य से जानिए उसकी कहानी...

Main Bhagya Hoon: Daily Astro of 20th October 2014

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