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मैं भाग्य हूं: दो नाव में सवार होने से नहीं मिलेगी सफलता

मैं भाग्य हूं: दो नाव में सवार होने से नहीं मिलेगी सफलता

पंजाब के छज्जूराम ईश्वर भक्त व्यापारी थे. वो प्रतिदिन सवेरे उठने के बाद भगवान का भजन करते थे. ठीक समय पर दुकान खोलकर सामान बेचते और सभी से अच्छा व्यवहार रखते थे. पूरे नगर में उनकी ईमानदारी की चर्चा थी. उनके बच्चे जवान हो गए तो उन्होंने पिता का काम संभाल लिया. छज्जूराम अब अक्सर सोचते रहे कि अब मेरी उम्र 60 वर्ष की हो गई है, क्यों अब पूरा समय भगवान के भजन और जनसेवा में लगाया जाए. पूरी कहानी के लिए वीडियो देखें.

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