मैं भाग्य हूं...मैं रोज आपसे मिलने आता हूं...कर्म की सलाह देने आता हूं. कई बार कुछ लोग बुरे कर्मों की वजह से बहुत आगे बढ़ जाते हैं. वहीं, सत्कर्म करने वाला कष्ट का जीवन जीता है. ऐसे में उसके मन में भी बुरे कर्मों के भाव आने लगते हैं. लेकिन क्या ये सही है? जानिए पंडित शैलेंद्र की सलाह.