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मैं भाग्य हूं: सत्कर्म से संवरता है भाग्य

मैं भाग्य हूं: सत्कर्म से संवरता है भाग्य

दुनिया बदल रही है, मौसम बदल रहा है, लोग बदल रहे हैं और बदल रहा है लोगों का मिजाज. बदलाव के इस मौसम में कब क्या हो जाए, ये अंदाजा लगा पाना बड़ा ही मुश्किल है. लेकिन अगर कर्म उत्तम है तो उसका फल भी सुखदायी होगा. क्योंकि कर्म ही भाग्य का निर्धारण करता है. इसलिए हमें हमेशा अच्छे कर्म ही करने चाहिए.

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