कोई अपने जीवन में क्या हासिल करेगा ये उनके बाहरी रंगरूप पर निर्भर नहीं करता. बल्कि इसपर निर्भर करता है कि उसके अंदर क्या है. हमारा व्यहार ही हमारे जीवन का निमार्ण करता है.