होना या ना होना, पाना या खो देना, सब विधाता की मर्जी है. लेकिन विधाता भी तो आपके भाग्य का निर्धारण भी तो कर्मों का लेखा- जोखा देखने के बाद ही करता है. देखें वीडियो.