दीया बाती की बिंदड़ी संध्या को आज कोई रोकने वाला नहीं है और न ही उसे किसी का डर है. टीवीपुर की यह बसंती तो सूरज बाबू की दीवानी है और जब तक वे खुद आकर इसे रुकने के लिए नहीं कहते तब तक इसने नांचने की जिद्द पकड़ ली है.