कुमुद गई तो अपनी सास गुमान के अतीत का पता लगाने थी, लेकिन वहां जाकर खुद ही कैद में फंस गई हैं. अब एक तरफ कुमुद काल-कोठरी से आजाद होने के लिए छटपटा रही हैं, तो दूसरी तरफ सरस बाबू उन्हें ढूंढ़ते-ढूंढ़ते थक गए हैं.