जब रिश्तों और स्कैंडल में कोई फर्क न कर पाए तो हालात कुछ ऐसे बन जाते हैं कि हकीकत और कला में भी वो शख्स फर्क कर पाने में मुश्किल महसूस करता है. फिर जिंदगी की पहेलियां कुछ इस कदर उलझती हैं कि मौत में ही उनका हल नजर आने लगता है. कुछ ऐसा ही हुआ गुरुदत्त के साथ. पहले गीता से इश्क और शादी, फिर वहीदा रहमान से लगाव....