'साहब बीवी और गुलाम', कहा ये जाता है कि ये वो फिल्म है जिसने मीना कुमारी की जिन्दगी को रुपहले पर्दे पर उकेर कर रख दिया. 1962 में जब ये फिल्म आई उस वक्त मीना कुमारी और कमाल अमरोही के रिश्ते टूटने के कगार पर थे. फिल्म महल से मायानगरी पर अपनी गहरी छाप बनाने वाले कमाल अमरोही, मीना कुमारी के आगे खुद को छोटा होते देखना नहीं चाहते थे. कमाल अमरोही के रवैये से मीना कुमारी पर गहरा सदमा पहुंचा. उनको ये लगने लगा था कि शादीशुदा जिन्दगी से उन्हें वो सब नहीं मिला जो मिलना चाहिये था.