ना मन्नतें पिघला पाईं क़ानून की ज़ंजीरों को और ना ही दुआएं. एक महीने का वक़्त भी देखते देखते गुज़र गया. एक बार फिर संजू बाबा के सामने हैं सज़ा और जेल की सलाख़ें. आज बात करेंगे कि कैसे क़ानून की अदालत में, तो कभी इश्क़ की कचहरी में संजू बाबा का पीछा नहीं छोड़ा स्कैंडल ने. क़ानून की ज़द में आने से पहले मुन्नाभाई ने गांधीगीरी के भी किसी अंदाज़ को छोड़ा नहीं.