बिहार चुनाव में महागठबंधन बनाम एनडीए की जंग में बीजेपी पिछड़ती नजर आ रही है. हाल ही में कई मुद्दों पर बीजेपी की किरकिरी हुई है. आज तक के कार्यक्रम 'सीधी बात' में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली दे रहे हैं पार्टी और पीएम पर उठ रहे तमाम सवालों के जवाब. पढ़ें सिलसिलेवार ढंग से आज तक के सवालों का क्या जवाब दिया जेटली ने.
बिहार में पीछे नहीं आगे हैं हम
बिहार चुनाव में महागठबंधन के मुकाबले बीजेपी के पिछड़ने की खबरों को जेटली सही नहीं मानते. उन्होंने कहा, 'पहले दो चरणों के चुनाव में बीजेपी को साफ बढ़त मिल रही है और आने वाले चरणों में कुछ जगहों पर तो हम एकतरफा जीत रहे हैं. बिहार की हवा का रुख दिल्ली की मीडिया नहीं तय करेगी. हम भी जमीन पर रहते हैं और जनता का मिजाज देख रहे हैं.' उन्होंने महागठबंधन को अवसरवादी गठजोड़ बताया. जेटली ने कहा, 'महागठबंधन में शामिल एक साथी पर बिहार को बर्बाद करने के आरोप लगते रहे हैं. यह आरोप और कोई नहीं उनके ही दूसरे साथी लगाते रहे हैं.
आरक्षण पर 'भागवत बोल' से नुकसान
आरक्षण के मुद्दे पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का बचाव करते हुए जेटली ने कहा, 'भागवत जी ने अपने बयान की शुरुआत ही इस बात से की थी कि हम सामाजिक समरसता के लिए आरक्षण के पक्ष में हैं. बीजेपी हो या संघ, ऐतिहासिक तौर पर हम हमेशा आरक्षण के पक्ष में रहे हैं. आरक्षण के विरोध में तो महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के नेता राजीव गांधी थे. उन्होंने मंडल आयोग की सिफारिशें नहीं मानी थीं. जबकि बीजेपी हमेशा से आरक्षण के पक्ष में रही है.
देश में बढ़ती असहिष्णुता पर
जेटली ने हाल ही में हुए विवादों पर भी पार्टी का पक्ष रखा. उन्होंने पूर्व सेना प्रमुख और मंत्री वीके सिंह के बयान पर कहा, 'वीके सिंह के बयान को तोड़ मरोड़कर कर पेश किया गया. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हर छोटी घटना में केंद्र सरकार को शामिल करना सही नहीं है. इसके बाद उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांगी. ये मामला खत्म हो गया.' असहिष्णुता के सवाल पर जेटली ने कहा, कर्नाटक में लेखक की हत्या हुई वहां कांग्रेस की सरकार है, दादरी की घटना के लिए समाजवादी पार्टी से सवाल पूछना चाहिए. मीडिया के पास मुद्दों की कमी है.'
मीडिया को भी दी नसीहत
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीडिया को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा भारतीय मीडिया सिर्फ लूज टॉक पर ध्यान केंद्रित करता है. कब किसी ने कुछ ऐसा बोला जिसें खींचकर मुद्दा बनाया जा सकता है. जेटली ने कहा मैंने अपने लिए कुछ नियम तय कर रखे हैं. जैसे मीडिया हमें रेट करता है मैं भी मीडिया को रेट करता हूं. मैंने यह तय कर रखा है कि यहां किन लोगों से बचकर रहना है और किन लोगों से बात करनी है.
बिहारी बनाम बाहरी
बिहार में नीतीश कुमार आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी सिर्फ बाहरी नेताओं के भरोसे है. इस पर जेटली कहते हैं, 'यह तो बेहद बचकाना आंकलन है. आप बताइए क्या सुशील मोदी बाहरी हैं, मांझी, पासवान, गिरिराज सिंह कौन बाहरी है. ये बेहद हल्का बयान है इस पर मैं टिप्पणी नहीं करूंगा.' बिहार में बीजेपी ने किसी को भी मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. कई राजनीतिक टिप्पणीकार इसे एक सियासी भूल मान रहे हैं. जेटली ने इसे पार्टी की रणनीति बताया. उन्होंने कहा, 'बीजेपी ने इन दिनों जिन भी राज्यों में चुनाव जीता वहां मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं घोषित किया था. हमको इस रणनीति से अब तक सफलता ही मिली है. हर पार्टी की अपनी चुनावी रणनीति होती है, यह हमारी रणनीति है.
हर हर मोदी से अरहर मोदी...
देश में बढ़ती महंगाई और दालों की आसमान छूती कीमतों पर वित्त मंत्री ने कहा, ' पहले महंगाई दर 12 फीसदी थी अब साढ़े तीन फीसदी तक हो चुकी है. लगभग पांच सौ चीजों के दाम कम हुए हैं. दाल हमेशा से निर्यात होती रही है. इस बार विदेशों में भी दाल की पैदावार कम हुई. बाजार में दाल कम आया और कई लोगों ने दाल की जमाखोरी की जिससे दाम बढ़ गए. हमने राज्यों को कहा कि वो जमाखोरों पर छापें मारें. इन छापों से पचास हजार टन दाल बरामद हुई है. यह दो चार दिन में बाजार में आ जाएगी और दाम कम हो जाएंगे.
बीफ का बवाल
बीफ पर उठे बवाल पर सफाई देते हुए जेटली ने कहा, 'संविधान में कैटल प्रोटेक्शन की बात है. 1954 से देश में गौ रक्षा के कानून देश में मौजूद हैं. दो तीन राज्यों को छोड़कर गोहत्या पर कानूनी प्रतिबंध है. यह प्रतिबंध हमने नहीं लगाया. बीफ एक्सपोर्ट पर पहले ही काफी बैन है. इस मुद्दे पर भी मीडिया ने लोगों को बरगलाया. महाराष्ट्र में फड़नवीस ने बैन नहीं लगाया बल्कि कांग्रेस के लगाए गए बैन को ही आगे बढ़ाया. यह 1994 से चला आ रहा था. लेकिन मीडिया ने इसे ऐसे दिखाया मानों बैन फड़नवीस ने बैन लगाया.'
बीजेपी पर विकास के बजाए बीफ को प्राथमिकता देने के सवाल पर जेटली ने कहा, 'सामाजिक समरसता की भी राजनीति होती है. अलग अलग धर्मों की अपनी मान्यताएं हैं. इस्लाम में भी कई किस्म की भावनाएं हैं जिनकी हम इज्जत करते हैं और करनी भी चाहिए. देश का हिंदू समाज अगर इस मुद्दे पर भावनात्मक रूप से जुडा़ है तो हमें इसकी इज्जत करनी चाहिए.'
लेखकों का विरोध और PM की चुप्पी
अपने भाषण शैली के लिए मशहूर प्रधानमंत्री मोदी के कई अहम मुद्दों पर चुप्पी पर भी कई सवाल उठे हैं. इस पर जेटली ने कहा, 'मोदी मीडिया के आधार पर अपना एजेंडा तय नहीं करेंगे. मैंने सबसे पहले दादरी पर बयान दिया. किसी किस्म के गलतबयानी की मैंने भी निंदा की है और पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने भी. प्रधानमंत्री भी अपनी चुनावी रैलियों में इन मुद्दों पर बोलते रहे हैं.'
जेटली ने विरोध कर रहे लेखकों की मंशा पर शक जाहिर करते हुए कहा, ' जहां तक लेखकों की बात है तो पिछले 10 साल में लाखों-करोड़ों के घोटाले हो रहे थे तब उन्होंने विरोध क्यों नहीं किया. जेटली ने कहा दादरी की स्थानीय घटना को केंद्र से जोड़ने पर ही मैंने कहा यह प्रायोजित विरोध है. दादरी एक अहम मुद्दा है लेकिन उसमें तो विरोध स्थानीय सरकार का होना चाहिए. सवाल बीजेपी पर क्यों उठ रहे हैं'