मंदिर मस्जिद की जंग में मजहब की उसूल अहम हो जाते हैं. इस महजब की बातों का गलत मतलब निकालकर धार्मिक उन्माद बढ़ाया जाता है तो इसी मजहब के दिखाए रास्तों से शांति लाई जाती है. ज्ञानवापी से शुरू हुई जंग ताज महल से लेकर कुतुब मीनार तक पहुंच गई. इस जंग के बीच आज देवबंद में जमीयत के जलसे में जब ये मुद्दा उठा तो महमूद असद मदनी की आंखे भर आईं. जमीयत के जलसे में जब बात उठी मुसलमानों के हाल की, देश के हालात की, मौजूदा सियासी जज्बात की तो मदनी साहब का गला रूंध गया और आखें भर आईं, जुबान से आह निकली. मंच से मुसलमानों की बेइज्जती की बात निकल आई. जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की बैठक में उनके धर्म गुरु महमूद असद मदनी भावुक हो गए. मौजूदा हालात पर बोलते हुए उनकी आवाज नम पड़ गई. आंखों में आंसू भर आए. मदनी ने कहा कि नफरत के बाजार सजाने वाले लोग मुल्क दे दुश्मन हैं. हम आग से आग बुझा नहीं सकते. नफरत को प्यार से हरा सकते हैं. जमीयत की ये बैठक उस वक्त हो रही है जब मंदिर-मस्जिद की लड़ाई तेज है दोनों ओर से मोरचाबंदी है. देखें शंखनाद का ये एपिसोड.
A two-day Jamiat Conference has been started from Saturday. In the meeting of Jamiat-Ulema-e-Hind, religious leader Mahmud Asad Madani became emotional. Madani said that the people who spread hatred are the enemy of the country. We cannot put out the fire with fire. Madani gave a special message to Muslims. Why is this communal dispute getting intensified? Watch this episode of Shankhnaad.