संसद से दूर सही दिल से कहां जाएगा, जाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा! यकीनन यही भाव थे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के. आज संसद का पोर-पोर भावुकता के सागर में गोते लगा रहा था. संसद देख रही थी नेता प्रतिपक्ष की विदाई का पल और पहली बार अपने देश के प्रधानमंत्री को फूटकर रोते हुए. गुलाम नबी आजाद को राज्यसभा से विदाई दी जा रही थी. पीएम की भावनाओं का बांध टूट गया था. गुलाम नबी आजाद के साथ बिताए दिन, उनके साथ की सियासत और उनके साथ की दोस्ती को याद करके पीए के आंसू उनके दिन की जुबान पर गए थे. आज अकेले पीएम नरेंद्र मोदी और नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ही नहीं रोए थे, बल्कि रोई थी पूरी संसद, रोए थे संसद के गलियारे, रोए थे संसद के सदस्य. सांसद इतने भावुक हुए कि किसी ने पीएम से अपील की, कि पीएम गुलाम नबी आजाद को भविष्य में कश्मीर का मुख्यमंत्री बना दें, तो किसी ने सलाह दी सदन को गुलाम नबी की जरूरत है. इसलिए वो बीजेपी की ओर से संसद के सदस्य बन जाएं. देखें शंखनाद, चित्रा त्रिपाठी के साथ.