पिछड़ों को सत्ता की बागडोर थमाने की शुरुआत मगध साम्राज्य के पहले शासक चंद्रगुप्त मौर्य के साथ ही हुई थी. लेकिन उसके बाद समाज जातियों में बंटता रहा. अब आलम ये है कि चुनावी गणित फिट बैठाने के लिए जातीय गठजोड़ के अलग-अलग फॉर्मूले इजाद किए जाते हैं. बिहार का भी कुछ ऐसा ही हाल है.