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West Bengal में ध्रुवीकरण से किसे होगा फायदा, चुनाव में क्या हिंदु-मुस्लिम पर जंग? देखें श्वेतपत्र

West Bengal में ध्रुवीकरण से किसे होगा फायदा, चुनाव में क्या हिंदु-मुस्लिम पर जंग? देखें श्वेतपत्र

पश्चिम बंगाल का चुनाव क्या है? ये समझ लीजिए कि इतिहास करवट ले रहा है. अब से 75 साल पहले, यानि 1946 में बंगाल की ज़मीन संप्रदाय के नाम पर डायरेक्ट एक्शन की तलवार से बंटी थी. उस बंटवारे के ठीक 75 साल बाद पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव इसकी सियासी जमीन में गहरी लकीरें खींचते दिख रहे हैं. क्यों और कितना जरूरी है ‘हम’ यानि हिंदू मुस्लिम फैक्टर पश्चिम बंगाल की राजनीति में और क्या इसका असर चुनावों पर पड़ेगा? 2011 की जनगणना ने पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की आबादी 27 प्रतिशत दर्ज की थी. कुल आबादी में मुसलमानों की संख्या के हिसाब से पश्चिम बंगाल देश में चौथे नंबर पर है. लेकिन पहले तीन राज्य लक्षद्वीप, जम्मू-कश्मीर और असम की कुल मुस्लिम आबादी को जोड़ भी दिया जाए तब भी पश्चिम बंगाल के 2 करोड़ 46 लाख मुसलमान उन राज्यों से 50 लाख ज्यादा बैठते हैं. यही वजह है कि पश्चिम बंगाल की सियासत में ये वोट हमेशा अहम रहे हैं. देखें श्वेतपत्र, श्वेता सिंह के साथ.

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