आप सबको आजादी की सालगिरह की मुबारकबाद. बधाई हमारे इन दो बेजुबान नीलू-पीलू की तरफ से भी. बेचारे, बोलते नहीं, मगर अपने इशारों से खूब धूम मचाते हैं. ये कैरेक्टर मशीनों के गढ़े हुए, लेकिन क्या लड़ते हैं, क्या झगड़ते हैं, ठीक हम इंसानों की तरह. एक गुण और है नीलू-पूली का. चोटी पर चढ़ने के लिए एक दूसरे का टांग भी खींचते हैं और दिखावे के लिए हाथ भी मिलाते हैं- ठीक हमारे सियासतदानों की तरह. हंसी ठिठोली भी क्या खूब करते हैं किसी मसखरे की तरह. मगर रुकिए, हमारे ये दो जवान आपसे जुड़े मुद्दे भी खूब उठाते हैं. तो चलिए, आज हम आपको पूरा आधे घंटे का तमाशा- खेल नीलू-पीलू का.