सियासत में अजीब सी लहर चल पड़ी है, लेकिन ये लहर बयानों की सुनामी के साथ बह रही है. जिसने राजनीति में हाहाकार मचा रखा है. ऐसा लग रहा है जैसे सियासत के अखाड़े में बेतुकी बयानबाजी की अंताक्षरी चल रही है. एक नेता के बयान का विवाद शांत नहीं होता कि दूसरा तैयार रहता है.