21वीं सदी का भारत विकास से बदला है, तो भ्रष्टाचार भी नई-नई शक्ल में सामने आया है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में जनता के माथे पर परेशानी की लकीरें साफ दिखाई देती हैं. अब दशहरा आया है कि तो सामाजिक बुराइयां रावण के पुतलों में दिखने लगी हैं, जनता अपने क्रोध से इसे फूंक देना चाहती है.